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God

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पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं। हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।। ‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721 नानक देव जी कहते हैं:- हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं। पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।

True worship

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Importance of true worship True worship of Supreme God Kabir can cure deadly diseases. God in RigVeda says that if someone is nearing death and has an incurable illness then I (God) can cure that illness and even bring someone back from the clutches of death. Complete salvation is only possible after obtaining scripture based  way of worship from a complete Guru. True way of worship is available with Saint Rampal Ji Maharaj only. Must take refuge in Him.

Kabir is God

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कबीर परमेश्वर का प्रकट होना...... ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर जी काशी के लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए। इस लीला को ऋषि अष्टानन्द जी ने आंखों देखा। वहाँ से नीरू-नीमा परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये। गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधार। मोमन कूं मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।। स्वामी रामानंद जी ने अष्टानन्द जी से कहा, जब कोई अवतारी शक्ति पृथ्वी पर लीला करने आती है तो ऐसी घटना होती है। कबीर परमेश्वर शिशु रूप में काशी में अवतरित हुए तो उनको देखने के लिए पूरी काशी के लोग उमड़ उमड़ कर आ रहे थे। ऐसा अद्भुत बच्चा उन्होंने आज तक नहीं देखा था। बच्चे का शरीर सफेद बर्फ की तरह चमक रहा था। बालक को देखने के लिए ऊपर से सूक्ष्म रूप में देवता भी आए। गरीब, गोद लिया मुख चूंबि कर, हेम रूप झलकंत। जगर मगर काया करै, जैसे दमकैं पदम अनंत।।

God Kabir Prakat Diwas

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कबीर साहेब प्रकट दिवस क्यों मनाया जाता है .... 🌹🌹 भारत देश (जम्बू द्वीप) के काशी नगर (बनारस) में नीरु-नीमा नाम के पति-पत्नी थे। वे  मुसलमान जुलाहा थे। वे निःसंतान थे। गरीब दास जी को परमात्मा कबीर साहेब ने अपने प्रकट होने की लीला बताई 👇👇👇 ज्येष्ठ सुदी पूर्णमासी की सुबह (ब्रह्म मुहूर्त में)लहरतारा नामक सरोवर में काशी के बाहर जंगल में मैं नवजात शिशु का रुप धारण करकेकमल के फूल पर लेटा था। मैं अपने इसी स्थान से गति करके गया था। नीरु जुलाहा तथा उसकी पत्नी प्रतिदिन उसी तालाब पर स्नानार्थ जाया करते थे। उस दिन मुझे बालक रुप में  प्राप्त करके अत्यन्त खुश हुए। मुझे अपने घर ले गए। मैंने 25 दिन तक कुछ भी आहार नहीं किया था। तब शिवजी एक साधु के वेश में उनके घर गए। वह सब मेरी प्रेरणा ही थी। शिव से मैंने कहा था कि मैं कंवारी गाय का दूध पीता हूँ। तब नीरु एक बछिया लाया। शिव को  मैंने शक्ति प्रदान की, उन्होंने बछिया की कमर पर अपना आशीर्वाद भरा हाथ रखा। कंवारी गाय ने दूध दिया। तब मैंने दूध पीया था। मैं प्रत्येक युग में ऐसी लीला करता हूँ। जब मैं शिशु रुप में प्रकट होता हूँ, ...

Kabir Prakat Diwas

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Kabir prakat diwas not  Parmeshwar Kabir Sahib Ji appeared on a lotus flower as an infant in Kashi 600 years ago and went to Magadhar. In the presence of thousands of people, he went to Satlok with his body.  Flowers were found in the place of the body, the evidence of which still exists in Maghar.  Therefore, the manifest day of Kabir Sahib is celebrated, not the birth anniversary. Kabir Saheb, the Supreme God, comes here with body from Satlok, he does not have birth and death, due to which the birth anniversary is not celebrated, but the manifestation day is celebrated.  Kabir Sahib himself has given evidence-  Na Mera janm na garbh basera, baalak ban dikhlaaya। Kashi Nagar jal Kamal par dera, tahaan julaahe ne paaya।। Maat pita mere kachu naahin, na mere Ghar daasi। Julhe ka sut aan kahaaya, jagat kare Meri hansi।।

Miracles Of GodKabir

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🌹🌿कबीर परमेश्वर के चमत्कार 🌿🌹  पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कई ऐसे चमत्कार किये  जिससे यह प्रमाणित होता है कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है परमेश्वर कमल के फूल पर अवतरित होकर कई लीलाये दिखाई थी । ‘शिशु कबीर परमेश्वर का नामांकन" करना जब कबीर साहेब का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ पुस्तक को काज़ी ने खोला। प्रथम नाम ‘‘कबीरन्’’ लिखा था। काजियों ने सोचा इस छोटे जाति वाले का कबीर नाम रखना शोभा नहीं देगा। पुनः कुरान शरीफ खोली तो उसमें सर्व अक्षर कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले मैं कबीर अल्लाह अर्थात् अल्लाहु अकबर, हूँ। मेरा नाम ‘‘कबीर’’ ही रखो इस तरह परमात्मा कबीर साहेब जी ने अपना असली नाम कबीर दिखाया । सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख। काशी के काजी कहै, गई दीन की टेक।। मुर्दे को जीवित करना ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3 में प्रमाण मिलता है कि पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। उसी विधान अनुसार कबीर परमेश्वर ने कमाल, कमाली नाम के मुर्दों को जीवित किया था।

Miracle Of God Kabir

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Facilitating the construction of jagannath temple    king Indradaman got the jagannath temple built many times but the waves of the Waves of the sea always destroyed it.  Then Lord Kabir appeared in the form of a Saint  and through  his unbound power, he stopped the sea from collapsing with the  walls of the temple and it was only because of Lord  Kabir's presence, that the temple finally got built. Its evidence is also available and is known as "Kabir Chaura" where Lord Kabir sat for stopping the sea.

The complete divine kabir saheb

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The complete divine Kabir saheb  has appeared in Satyuga by name Satsukrita, in Tretayuga by the name Munindra, in Dwapar Yuga, in Karunaamaya, and in Kaliyuga, in the name of Kavir Dev (Kabir God). Apart from this, he comes by appearing in other forms, and disappears after performing his marvels God Kabir comes to propagate his true spiritual knowledge in all four ages. Garib Das Ji Maharaj has said in his speech "True god and Satguru is Kabir who comes in all four ages, False Gurus are dead, they have become ghosts."

God Kabir comes in all the four yugas.

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God Kabir comes in all the four yugas complete God Kabir even prayer to the knowledge of the Vedas was present in satlok and has also himself appeared in all the four yugas to impart his real knowledge. In Kalyug, Lord Kabir appeared on lotus flower in the lahartara pond of Kashi in Kalyug and was known by his actual name. A childless couple Neeru and nima nurtured him in Kalyug. For More Information please watch 'Sadhna' Tv At 7:30 pm.
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सत भक्ति मुक्ति संदेश आज तक हमने उस परमात्मा को अजन्मा, अजर-अमर कहा है लेकिन प्रमाणों से सिद्ध हुआ कि श्री ब्रह्मा श्री विष्णु तथा श्री शंकर तीनों नाशवान हैं फिर अविनाशी परमात्मा कौन है ?क्या ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर और काल ब्रह्म परमात्मा नहीं हैं? ये सभी जानकारी हमारे सभी शास्त्रों में है ।  भागवत गीता, रामायण, महाभारत को सभी ने पढ़ा है क्योंकि ये सभी विशेष प्रमाणित शास्त्रों में से हैं। विशेष विचारणीय विषय यह है कि जिन पवित्र शास्त्रों को हिन्दुओं के शास्त्र कहा जाता है, जैसे पवित्र चारों वेद व पवित्र श्रीमद् भगवत गीता जी आदि, वास्तव में ये सद् शास्त्र केवल पवित्र हिन्दु धर्म के ही नहीं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सर्व शास्त्र महर्षि व्यास जी द्वारा उस समय लिखे गए थे जब कोई अन्य धर्म नहीं था। इसलिए पवित्र वेद व पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी तथा पवित्र पुराणादि सर्व मानव मात्र के कल्याण के लिए है! हमारे सर्व पवित्र धर्म पवित्र 4 वेद ,6 शास्त्र ,18 पुराण ,कुरान शरीफ ,बाइबिल ग्रन्थ साहेब ,गीता में प्रमाण है  प्रभु /मालिक/ रब /खुदा /अल्लाह/ राम/ साहेब /गॉड /परमेश्वर सब...
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हमारे शास्त्र और सतभक्ति  आज तक हम सभी देवी देवताओं की भक्ति करते आये है फिर भी हम दुःखी है लेकिन क्यों सोचा है कभी आज पढ़े हुए लोग भी इस अंध भक्ति में लगे है और कभी नही जाना की भक्ति सही भी है या नही बिना कुछ सोचे ही लगे है  हम पुरानी पीढ़ियों की लीक पीटने पर ये एक बार भी नही जाना कि क्या जो पंडित हमे भक्ति विधि बता रहे है वो शास्त्र प्रमाणित है  हम तो सिर्फ लगे है  मनमानी साधना करने में लेकिन मनमानी साधना करने के लिए शास्त्रों में क्या लिखा है वो आप देखिए प्रमाण सहित 👇👇👇 श्रीमद्भगवत गीता के अध्याय 16 श्लोक 23,24 में स्पष्ट निर्देश है कि जो साधक शास्त्रों में वर्णित भक्ति की क्रियाओं के अतिरिक्त साधना व क्रियाऐं करते हैं, उनको न सुख की प्राप्ति होती है, अर्थात् व्यर्थ पूजा बतायी है । भेको के लस्कर फीरे ,ये वाणी चोर कठोर । सतगुरु धाम ना पहुंचेंगे ,ये चौरासी के ढोर ।। हमारे सर्व पवित्र धर्म पवित्र 4 वेद ,6 शास्त्र ,18 पुराण ,कुरान शरीफ ,बाइबिल ग्रन्थ साहेब ,गीता में प्रमाण है वो परमात्मा कबीर साहेब है । पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब है जो ...