Navratri special
नवरात्रि क्या है ........
नवरात्रि अर्थात नो रातों तक शक्ति के नो रूपों की पूजा की जाती है इस समय दुर्गा की उपासना का श्रेष्ठ समय माना जाता है और दशवें दिन दशहरा मनाया जाता है कई जगह दुर्गा मूर्तिया विसर्जित की जाती है
आइये अब जानते है नवरात्रि क्यों मनाया जाता है
शास्त्रों में नवरात्रि का त्यौहार मनाए जाने के पीछे दो कारण बताए गए हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनो लोकों में आतंक माचने लगा। इस पर माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
दूसरा कारण है श्री राम ने रावण से युद्ध करने से पहले शक्ति की आराधना की थी देवी ने प्रसन्न होकर विजयी होने का आशिर्वाद दिया था फिर जिस दिन भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। उस दिन को विजय दशमी के रूप में जाना जाता है।
गुजरात में इस त्यौहार को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में मनाया जाता है। यह रात भर चलता है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, ‘आरती’ से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद।
क्या इस तरह नाच गाने से हमें लाभ मिलेगा क्या हम ये जो भी भक्ति विधि कर रहे है वो शास्त्रनुकूल है आइये जानते है ...
क्या Navratri या किसी भी अवसर व त्यौहार पर व्रत और अन्य उपासना गीता जी के अनुसार सही है या गलत?
गीता अध्याय 4 श्लोक 40 के अनुसार विवेकहीन, श्रद्धाहीन और संशययुक्त मनुष्य कभी भी भ्रमित होकर विनाश को प्राप्त हो जाएगा अर्थात् जिसको पूर्ण ज्ञान नहीं होता, वह किसी के द्वारा भ्रमित होकर सत्य साधना त्यागकर शास्त्रविरुद्ध साधना करके अपना अनमोल मानुष जन्म नष्ट कर जाएगा। संशययुक्त आत्मा को न तो इस लोक में सुख है, न परलोक में क्योंकि शास्त्रानुकूल साधना से सुख होता है, उससे संसार में भी सुख मिलता है तथा मृत्यु उपरान्त सत्यलोक में भी सुखी होता है।
Navratri 2020 |
आइये अब जानते है नवरात्रि क्यों मनाया जाता है
शास्त्रों में नवरात्रि का त्यौहार मनाए जाने के पीछे दो कारण बताए गए हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया और तीनो लोकों में आतंक माचने लगा। इस पर माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
दूसरा कारण है श्री राम ने रावण से युद्ध करने से पहले शक्ति की आराधना की थी देवी ने प्रसन्न होकर विजयी होने का आशिर्वाद दिया था फिर जिस दिन भगवान राम ने लंका नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। उस दिन को विजय दशमी के रूप में जाना जाता है।
Navratri special |
गुजरात में इस त्यौहार को बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में मनाया जाता है। यह रात भर चलता है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, ‘आरती’ से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद।
क्या इस तरह नाच गाने से हमें लाभ मिलेगा क्या हम ये जो भी भक्ति विधि कर रहे है वो शास्त्रनुकूल है आइये जानते है ...
क्या Navratri या किसी भी अवसर व त्यौहार पर व्रत और अन्य उपासना गीता जी के अनुसार सही है या गलत?
गीता अध्याय 4 श्लोक 40 के अनुसार विवेकहीन, श्रद्धाहीन और संशययुक्त मनुष्य कभी भी भ्रमित होकर विनाश को प्राप्त हो जाएगा अर्थात् जिसको पूर्ण ज्ञान नहीं होता, वह किसी के द्वारा भ्रमित होकर सत्य साधना त्यागकर शास्त्रविरुद्ध साधना करके अपना अनमोल मानुष जन्म नष्ट कर जाएगा। संशययुक्त आत्मा को न तो इस लोक में सुख है, न परलोक में क्योंकि शास्त्रानुकूल साधना से सुख होता है, उससे संसार में भी सुख मिलता है तथा मृत्यु उपरान्त सत्यलोक में भी सुखी होता है।
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