Education in our life


 हमारे जीवन में शिक्षा का महत्व (Importance’s of education ln our life)

विद्या एक ऐसा धन है जिसे ना तो कोई चुरा सकता है और नाही कोई छीन सकता। यह एक मात्र ऐसा धन है जो बाँटने पर कम नहीं होता, बल्कि की इसके विपरीत बढ़ता ही जाता है। हमने देखा होगा कि हमारे समाज में जो शिक्षित व्यक्ति होते हैं उनका एक अलग ही मान सम्मान होता है और लोग उन्हें हमारे समाज में इज्जत भी देते हैं। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि वह एक साक्षर हो प्रशिक्षित हो इसीलिए आज के समय में हमारे जीवन में पढ़ाई का बहुत अधिक महत्व हो गया है। इसीलिए आपको यह याद रखना है कि शिक्षा हमारे लिए बहुत जरूरी है इसकी वजह से हमें हमारे समाज में सम्मान मिलता है जिससे हम समाज में सर उठा कर जी सकते हैं।
आज जिस प्रकार दुनियां आधुनिक रूप में बदल रही है, वहां शिक्षा का मतलब बढ़ता जा रहा है । ऐसा नहीं है कि आज विश्व के आधुनिक रूप में परिवर्तन होने के कारण शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है 
बल्कि प्राचीन समय से ही शिक्षा के महत्व को हमारे पूर्वजों ने स्वीकार किया है। वर्तमान समय में यदि कोई व्यक्ति शिक्षित नहीं है तो वह समाज में पिछड़ता जाता है ।वह समाज से खुद को अलग सा महसूस करता है ।

यहां शिक्षा का मतलब बहुत सारी Degrees लेकर पूर्ण शिक्षित होने से नहीं है, बल्कि कम से कम कितना आत्मबल होने से है की उसे सामान्य कामों के लिए किसी की सहयोग लेने की आवश्यकता ना पड़े। उसे कम से कम इतना ज्ञान हो कि वह लिखना पढ़ना जानता हो।

किसी भी व्यक्ति का प्रथम विद्यालय उसका घर होता है और किसी भी व्यक्ति का पहला शिक्षक उसके माता-पिता होते हैं ।आज के समय मेंअधिकतर युवाओं की सोच यह है कि शिक्षा का उद्देश्य नौकरी लेना है ,लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है ,जब तक हमारी शिक्षित होने का उद्देश्य नौकरी लेना होगा, तब तक हम पूर्ण रुपेन शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएंगे ।

शिक्षा का उद्देश्य यह होना चाहिए कि हम पूर्णरूपेण शिक्षित होकर दूसरों को रोजगार देने लायक काम करें । शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में इस कदर बढ़ गया है कि शहरी क्षेत्र में तो एक और शिक्षित व्यक्ति खुद को ठगा हुआ महसूस करता है । ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति में भी अब बदलाव आ रहा है ,वहां भी अब शिक्षित लोगों की मांग बढ़ गई है।

शिक्षा के नुकसान-
शिक्षा के कुछ नुकसान भी आज के समाज में देखने में सामने आ रहे हैं सबसे पहला नुकसान तो ये है कि बच्चे काल्पनिक होते जा रहे हैं. आज वो जो कुछ भी इन्टरनेट के माध्यम से प्राप्त कर रहे हैं, उसे प्रैक्टिकल लाइफ में सकारात्मक तरीके से नही ढाल पा रहे हैं.
यूँ तो इंटरनेट पर सभी जवाब आसानी से प्राप्त हो जाते हैं, जिससे छात्रों को कभी किसी विषय पर पढ़ते हुए ज्यादा सोच विचार करने की जरुरत नहीं होती। जिस कारण छात्रों की बुद्धि एक दायरे में ही सीमित हो जाती है। जिससे बच्चों की रचनात्मक क्षमता में कमी आती है।

डिजिटल शिक्षा चाहे कितनी ही सुविधा छात्रों को उपलब्ध करा दे। लेकिन इस सुविधा के कारण छात्रों में अध्ययन की ख़राब आदतों को बढ़ावा मिल रहा है। जो छात्रों में आलसी दृष्टिकोण को धीरे धीरे विकसित कर रहा है। जिससे छात्र अपंनी सोच और झमताओं को छोड़ पूरी तरह से इस पर निर्भर हो रहे हैं। देखा जाये तो डिजिटल शिक्षा छात्रों में शिक्षा के बुनियादी तरीके को भुला रही है। यहाँ तक कि अब बच्चे मामूली समस्याओं और होमवर्क के लिए भी डिजिटल साधनों की सहायता ले रहे हैं।

डिजिटलाइजेशन के तहत सबसे ख़राब बात यह सामने आती है की यहाँ पर कई प्रकार की सामग्री होती है, जो छात्रों के लिए उपयुक्त नहीं होती। इसमें बहुत सारी चीजे ऐसी है, जो बच्चों के लिए अच्छी नहीं होती, यदि इस सामग्री पर छात्रों की पहुँच होती है, तो यह उनका भविष्य बर्बाद कर सकती हैं।

अंत में उपर्युक्त पाठ का यही सार निकलता है की आज के समय में डिजिटल शिक्षा जरुरी तो है, लेकिन इसका उपयोग एक हद तक और किसी की देख रेख में ही होना चाहिए। जिससे इस तकनीक का छात्रों को पूरा पूरा लाभ मिले, वहीँ उनका मानसिक, शारीरिक और चारित्रिक हनन भी न हो।

Comments

Post a Comment

अपने मनुष्य जीवन का असली उद्देश्य क्या है जाने

Popular posts from this blog

Bible

Meat eaters are sinners