सत भक्ति मुक्ति संदेश आज तक हमने उस परमात्मा को अजन्मा, अजर-अमर कहा है लेकिन प्रमाणों से सिद्ध हुआ कि श्री ब्रह्मा श्री विष्णु तथा श्री शंकर तीनों नाशवान हैं फिर अविनाशी परमात्मा कौन है ?क्या ब्रह्मा, विष्णु तथा शंकर और काल ब्रह्म परमात्मा नहीं हैं? ये सभी जानकारी हमारे सभी शास्त्रों में है । भागवत गीता, रामायण, महाभारत को सभी ने पढ़ा है क्योंकि ये सभी विशेष प्रमाणित शास्त्रों में से हैं। विशेष विचारणीय विषय यह है कि जिन पवित्र शास्त्रों को हिन्दुओं के शास्त्र कहा जाता है, जैसे पवित्र चारों वेद व पवित्र श्रीमद् भगवत गीता जी आदि, वास्तव में ये सद् शास्त्र केवल पवित्र हिन्दु धर्म के ही नहीं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सर्व शास्त्र महर्षि व्यास जी द्वारा उस समय लिखे गए थे जब कोई अन्य धर्म नहीं था। इसलिए पवित्र वेद व पवित्र श्रीमद्भगवत गीता जी तथा पवित्र पुराणादि सर्व मानव मात्र के कल्याण के लिए है! हमारे सर्व पवित्र धर्म पवित्र 4 वेद ,6 शास्त्र ,18 पुराण ,कुरान शरीफ ,बाइबिल ग्रन्थ साहेब ,गीता में प्रमाण है प्रभु /मालिक/ रब /खुदा /अल्लाह/ राम/ साहेब /गॉड /परमेश्वर सब...
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कबीर परमेश्वर का प्रकट होना...... ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर जी काशी के लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए। इस लीला को ऋषि अष्टानन्द जी ने आंखों देखा। वहाँ से नीरू-नीमा परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये। गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधार। मोमन कूं मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।। स्वामी रामानंद जी ने अष्टानन्द जी से कहा, जब कोई अवतारी शक्ति पृथ्वी पर लीला करने आती है तो ऐसी घटना होती है। कबीर परमेश्वर शिशु रूप में काशी में अवतरित हुए तो उनको देखने के लिए पूरी काशी के लोग उमड़ उमड़ कर आ रहे थे। ऐसा अद्भुत बच्चा उन्होंने आज तक नहीं देखा था। बच्चे का शरीर सफेद बर्फ की तरह चमक रहा था। बालक को देखने के लिए ऊपर से सूक्ष्म रूप में देवता भी आए। गरीब, गोद लिया मुख चूंबि कर, हेम रूप झलकंत। जगर मगर काया करै, जैसे दमकैं पदम अनंत।।