Suicide right or wrong
✨✨आत्महत्या सही है या ग़लत ✨✨
आज मनुष्य अपनी जिंदगी से परेशान होकर आत्महत्या करने की सोच लेता है और इसे ही अपनी सभी समस्याओं का समाधान समझने लगता है .....मर जाना एक बहुत बड़ी त्रासदी है. शायद सबसे बड़ी. तमाम दुख, तकलीफें, खुशियां, असंतुष्टि, नेम, फेम या बदनामी का अस्तित्व तभी तक है, जब तक सांसें चल रही हों. एक बार दम निकला नहीं कि सब कुछ निरर्थक हो जाता है. फिर भी लोग मर जाते हैं. ख़ुशी-ख़ुशी. पूरे होशो-हवास में जान जैसी चीज़ लुटा देते हैं,
कबीर साहेब जी ने कहा है कि मनुष्य जन्म बहुत अनमोल है इसे यूंही व्यर्थ गंवाना नहीं चाहिए क्योंकि मनुष्य जन्म बार बार नहीं मिलता।
मानुष जन्म दुर्लभ है, ये मिले ना बारंबार।
जैसे तरवर से पत्ता टूट गिरे, वो बहुर न लगता डार।।
उसी प्रसंग को आगे बढ़ाते हैं कि मानव शरीर प्राप्त प्राणी को अपना उद्देश्य याद रखना चाहिए। भक्ति करके अपना कल्याण करवाना चाहिए। सूक्ष्म वेद में लिखा है कि :-
यह सौदा फिर नाहीं सन्तो, यह सौदा फिर नाहीं।
नर से फिर पशुवा कीजै, गधा, बैल बनाई।
छप्पन भोग कहाँ मन बौरे, कहीं कुरड़ी चरने जाई।।
मनुष्य जीवन में हम कितने अच्छे अर्थात् 56 प्रकार के भोजन खाते हैं। भक्ति न करने से या शास्त्राविरूद्ध साधना करने से गधा बनेगा, फिर ये छप्पन प्रकार के भोजन कहाँ प्राप्त होंगे, कहीं कुरडि़यों (रूड़ी) पर पेट भरने के लिए घास
खाने जाएगा। इसी प्रकार बैल आदि-आदि पशुओं की योनियों में कष्ट पर कष्ट उठाएगा।
सन्त गरीब दास ने परमेश्वर कबीर जी से प्राप्त सूक्ष्मवेद में आगे कहा है कि यदि सतगुरू (तत्वदर्शी सन्त) की शरण में जाकर दीक्षा लेते तो उपरोक्त सर्व कर्मों के कष्ट कट जाते अर्थात् न प्रेत बनते, न गधा, न बैल बनते।
भक्ति न करने से बहुत दुःख होगा‘‘सूक्ष्मवेद में कहा है :-
यह संसार समझदा नाहीं, कहंदा शाम दुपहरे नूँ।
गरीबदास यह वक्त जात है, रोवोगे इस पहरे नूँ।।
अगर हम अपना मनुष्य जीवन ऐसे ही व्यर्थ गवां देंगे फिर पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा
इतना सबकुछ जानकर तो आपको पता चल गया होगा मनुष्य जन्म कितना कीमती है और इसे व्यर्थ गवाने से कोई लाभ नहीं भक्ति करें और अपना अनमोल जीवन सफल बनायें।
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अपने मनुष्य जीवन का असली उद्देश्य क्या है जाने